कहाँ गए वो पार्थ, सारथी
कहाँ गया गीता का ज्ञान
कहाँ गए वो भीष्म पितामह
कैसे होगा यह संग्राम ?
उद्दंडता की हद्द हो गयी
राजनीति की भद्द हो गयी
खून चूसता जोंक हृदय का
कैसे बचेगा हिन्दुस्तान ?
ब्यभचारी सरकार आ गयी
घोटालों की बाढ़ आ गयी
लूट मची है राज कोश की
चोर खरे हैं सीना तान !
जनता बेबस,लाचार खड़ी है
नेताओं की भूख बड़ी है
पीड़ हुआ है पर्वत जैसा
कैसे होगा अब परित्राण ?
देस प्रेम का भाव नहीं है
गद्दाफ़ी, कासाब यहीं है
बाट जोहती वसुधा बैठी
कौन करेगा शर-संधान ?
कहाँ गए वो पार्थ, सारथी
कहाँ गया गीता का ज्ञान
कहाँ गए वो भीष्म पितामह
कैसे होगा यह संग्राम ?