सोमवार, 18 जुलाई 2011

" ख़ामोशी "

तुम्हारी आँखों में कुछ है 
जो मुझे डूबने से रोकती है
अनकहे शब्दों की व्यथा 
अधरों का कोमल स्पंदन
तारीखों के ताल-वृक्ष 
वट-वृक्ष सा फैला विश्वाश
सांय-सांय करती हवाएं 
नदी का वो नौका विहार
प्रायः मुझे आश्वस्त करता है 
वह प्यार हीं तो है जो भेदता है 
हमारे संबंधों की हड्डियाँ
प्यार एक ख़ामोशी है 
जो हमें जिन्दा रहने को
मजबूर करती है  !